'गोदातरंग' वार्षिकांक
छात्र-छात्राओं की प्रतिभा, योग्यता, एवं कला-गुणों को मंच प्रदान करने हेतु साहित्य मंडल, वाद-विवाद एवं वक्तृत्व मंडल आदि पाठ्येतर गतिविधियां महाविद्यालय में कार्यान्वित की जाती हैं । प्रतिवर्ष प्रकाशित किया जानेवाला वार्षिकांक 'गोदातरंग' भी इसी तरह का एक प्रशंसनीय उपक्रम है। महाविद्यालय की स्थापना से अर्थात सन १९६४ से लेकर आज तक कुछ अपवादों को छोडकर प्रतिवर्ष महाविद्यालय का 'गोदातरंग' वार्षिकांक नियमित रूप से प्रकाशित होता रहा है। महाविद्यालय दक्षिण गंगा गोदावरी के तट पर स्थित होने के कारण वार्षिकांक का शीर्षनाम 'गोदातरंग' रखा गया है।
प्रतिवर्ष किसी महत्वपूर्ण या ज्वलंत विषय को केंद्र में रखकर छात्र-छात्राओं को कविता, निबंध, लेख, कहानी और विचार-तरंग आदि प्रकार का सृजनात्मक लेखन करने हेतु प्रेरित किया जाता है। साथ ही स्तरीय साहित्य- निर्माण के लिए निबंध लेखन, काव्य वाचन आदि प्रतियोगिताओं का आयोजन कर अव्वल साहित्य-सृजन के लिए छात्रों को पुरस्कृत भी किया जाता है। साथ ही सृजनात्मक साहित्य लेखन हेतु अध्यापकों के मार्गदर्शन में कार्यशालाओं का आयोजन भी किया जाता है। अब तक महाविद्यालय की ओर से 'वैश्विक तापमान-वृद्धि : जलवायु परिवर्तन', 'स्वच्छ भारत : समृद्ध भारत,' 'नारी-शक्ति का सम्मान', 'युवक और समाज माध्यम', 'डॉ ए.पी.जे. अब्दुल कलाम', 'संत साहित्य', 'कोरोना महामारी'आदि जैसे अनेक प्रासंगिक विषयों को केंद्र में रख कर विशेषांक प्रकाशित किए गए हैं।
अब तक 'संत साहित्य विशेषांक' के लिए 'गोदातरंग' को सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय का प्रथम पुरस्कार भी प्राप्त हुआ है। साथ ही साथ कुछ विशेषांकों को अन्य पुरस्कार भी प्राप्त हुए हैं। जैसे- महाराष्ट्र राज्य विद्यार्थी परिषद का राज्यस्तरीय 'प्रतिभा संगम' पुरस्कार आदि पुरस्कार भी मिले हैं।